आदित्य कुमार |
माँ
खुदा मुझसे माँ की
मोहब्बत न छीने
अगर छीनना है तो जहाँ
छीन ले
वो जमीं छीन ले आसमां
छीन ले
वो मेरे सर की बस ये छत
न छीने
खुदा मुझसे माँ की
मोहब्बत न छीने
अगर माँ न होती जमीं पर
न आता
जिस आँचल में छुपाया वो
आँचल न रहता
माँ न होती तो ये जान न
पाता
माँ क्या है ये पहचान न
पाता
कोई मुझ से मेरी पहचान
न छीने
खुदा मुझसे माँ की
मोहब्बत न छीने
अगर माँ का सर पे हाथ न
होता
तो सारी दुनिया वीरान
लगती
मगर मेरी माँ मेरे पास
है
तो सारे जहाँ की खुशी
साथ है
कोई मुझसे मेरी ये खुशी
न छीने
खुदा मुझसे माँ की
मोहब्बत न छीने|
रचनाकार - आदित्य कुमार
वर्ग - V C
रौल नं० - 4
विद्यालय- लोयला हाई
स्कूल