इ-पत्रिका ‘सोपान’ पटना हाई स्कूल, गर्दनीबाग, पटना-२ के द्वय सोपानों को याद कराता है|बाबा तुलसीदास के शब्द हैं-‘जनु सुरपुर सोपान सुहाई|’सोपान क्रमानुगत सफ़लता का साधन है| सीढ़ी-दर-सीढ़ी धीरे-धीरे चढ़ो और पढ़ोः
शनैः पंथा, शनैः ग्रंथा, शनैः पर्वत लंघनम्|
शनैः विद्या, शनैर्वित्त, पंचैतानि शनैः शनैः||
इतना ही नहीं बल्कि मंजिल की ऊँचाई पा जाने पर निचाई को भी ख़्वाब में भरे रखने की शिक्षा देता है|
आदमी न ऊँचा होता है,
न नीचा होता है,
न बड़ा होता है,
न छोटा होता है,
आदमी सिर्फ़ आदमी होता है|-अटल बिहारी बाजपेयी
सन् 1975 का काल, तिथि ग्यारह, महीना भी ग्यारह- पटना हाई मे मैं पहली घंटी लेने पूर्व की सीढ़ी से चढ़ा| रूम नम्बर सात में क्लास लिया|घंटी समाप्ति के बाद निकला और पूर्व की ओर बढ़ा| तभी नव परिचित आलम साहब मिले| वह मुझे पश्चिम की ओर ले चले| मैंने कहा, ‘इधर कहाँ? मुझे तो नीचे जाना है|’ इसपर उन्होंने कहा, ‘मैं भी तो नीचे ही जा रहा हूँ|’मैं चुपचाप उनके कदम से कदम मिला कर चलने लगा| जब सीढ़ी से उतरने लगा तब कहा, ‘श्रीमान जी! यह तो ‘The East & The West’ की कहानी हो गई|’
वे ठठाकर हँसे, ‘यही तो स्कूल की खास खासियत है|’ जैसे-जैसे समय बीतता गया, इन सीढ़ियों पर चढ़ते उतरते इतिहास को पढ़ता रहाः
अंकित है इतिहास पत्थरों पर जिनके अभियानों का
चरण-चरण पर चिह्न यहाँ मिलता जिनके बलिदानों का|
गुंजित जिनके विजय नाद से हवा आज भी बोल रही
जिनके पदाघात से कम्पित धरा अभी तक डोल रही|
रामधारी सिंह दिनकर
जब मेरा अवकाश प्राप्त करने का समय आया, नवम्बर 2008 को, अंतिम घंटी अपने वर्ग में वर्ग शिक्षक के नाते विदाई लेने गया, छात्रों ने आत्मविह्वल कर दिया| दिल दरिया हो गई- उसी बहाव में मैं भी बह गया| तब दिमाग ने पश्चिमी सोपान से उतरते कहा,
कितनी आई और गई पी
टूट चुकी अबतक कितने ही
मादक प्यालों की माला
कितने साकी अपना-अपना
काम खतम कर दूर गए
किंतु वहीं है मधुशाला|
-हरिवंश राय बच्चन|
श्री बालमुकुन्द शर्मा
अवकाश प्राप्त शिक्षक
शहीद राजेन्द्र प्रसाद सिंह राजकीय उच्च (+2) विद्यालय,
गर्दनीबाग,पटना-2.
आपने अपने कर्मस्थल पर बिताए गए प्रथम दिन की यादों को बहुत ही मनोहारी ढंग से प्रस्तुत किया है|एक इतिहासकार ही इतिहास के पन्नों को इतने खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत कर सकता है| आशा है कि आगे भी आप अपनी रचनाओं से हमें अभिभूत करते रहेगें|
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