Wednesday, November 2, 2011

जीवन का सच, ताँका में ( रचना - रवि रंजन, व्याख्याता)



ताँका कविता लिखने की एक जापानी विधा है| वर्णों का क्रम 5+7+5+7+7 होता है|  
     
स्वार्थी जग ये
निर्दोष को सताए
डटे जो रहें
अग्नि पथ पे सदा
दुनिया जीत जाएं|
    २
निःस्वार्थ सेवा
है मानव का धर्म
डगर हो सशक्त
यही बने जो लक्ष्य
जीवन हो सफल|
    ३
भ्रमित लोग
उलझे माया जाल
जीवन बढ़े
कष्ट में जब घिरे
सँभल न पाते वे|
    ४
सत्संग ही है
आत्म शुद्धि का यंत्र
अपनाएँ जो
मिटे उसका भ्रम
               
दिखे स्वस्थ डगर
    ५
रिश्ते निभाना
कठिन है तपस्या
टूट जाते जो
दोबारा हैं जुड़ते
गाँठ हैं उभरते|

रवि रंजन
व्याख्याता

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